पूर्वी लद्दाख में चीन से मुकाबले के लिए भारतीय सेना 1962 के मुकाबले आज कहीं अधिक सक्षम है और आज ड्रैगन की चाल को नाकाम को नाकाम बनाने में सक्षम हैं। हाल के वर्षों में बेहतर आधारभूत ढांचे के विकास और युद्धक साजोसामान की आपूर्ति के साथ-साथ रेजांगला के वीरों का बलिदान इन विपरीत परिस्थितियों में हमारे जवानों को निरंतर प्रेरित करता है और दुश्मन के हौसले को पस्त कर देता है।
कारगिल के रेजांगला में आज से 61 साल पहले हुई रेजांगला की जंग में 114 भारतीय सैनिकों ने अपने से 11 गुना अधिक चीनी सैनिकों को मार गिराकर अपने अद्भुत साहस और पराक्रम की नई इबारत लिखी थी। इस युद्ध में भारतीय सेना के वीरों ने दुश्मन के सात हमले नाकाम कर उसके 1300 सैनिक मार गिराए थे।
अंतिम सांस लड़ते हुए लद्दाख को दुश्मन से बचाया
परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह की कमान में चीनी सैनिकों से लड़ते बलिदान हुए 13 कुमाऊं रेंजीमेंट के 114 वीर देश पर बलिदान हो गए थे। इन बलिदानियों ने शून्य से 24 डिग्री नीचे के तापमान में अंतिम गोली और अंतिम सांस लड़ते हुए लद्दाख को दुश्मन से बचाया था। रेजांगला बैटल डे पर शनिवार को 18 नवंबर, 1962 को चीन से हुए युद्ध में बलिदान हुए भारतीय सैनिकों के शौर्य को फिर से नमन किया जाएगा।